न जाने कौन सी शिकायतों का हम शिकार हो गए, जितना दिल साफ रखा उतना ही गुनहगार हो गए..

ऐसी माहौल में दवा क्या है दुआ क्या है? जहाँ कातिल ही खुद पूछे कि हुआ क्या हैं ?

मुझे फुर्सत ही कहाँ जो, मौसम सुहाना देखू तेरी यादो से निकलू तो जमाना देखू..!!

मुद्दत हो गई कभी तो कोई शक्स ऐसा मिले, बाहर से जैसा दिखता हो अन्दर भी वैसा मिले..!!

हम तो समझे थे कि ये जख्म है भर जायेगा क्या खबर थी कि रंग-ए-जां में उतर जायेगा..!!

रूह छूकर कोई गुजरे तो मोहब्बत कहना जिस्म छूकर तो हवाए भी गुजरती है..!!

न आस टूटी, न आँखों से इंतेजार गया एक एतबार पे मै एक उम्र हार गया..!!

न आस टूटी, न आँखों से इंतेजार गया एक एतबार पे मै एक उम्र हार गया..!!

वो जो गुजारी तुम्हारे साथ काश जिन्दगी उतनी ही होती..!!

कितना खुश किस्मत होगा वो शख्स जिसे तुम बिन मांगे मिल जाओगे..!!

उसी को जीने का हक़ है, जो इस ज़माने में इधर का लगता रहे और उधर का हो जाए..!!

इतनी बाते सोच रखी है तुम्हे सुनाने के लिए पर तुम हो की आते नही मनाने के लिए..!!

चश्मदीद अँधा बना, बहरा सुने दलील झूठो का दबदबा, सच्चे हुए जलील..!!

ना सुकून है कही ना कही दिलासे है तन्हा सी जिन्दगी में बड़े तमाशे है..!!